“पञ्च संस्कार”
हमारे पूर्वाचार्यो के अनुसार, एक क्रिया-विधि है, जिसके द्वारा श्रीवैष्णव बना जाता है। इस विधि को “संप्रदाय में दीक्षा” कहा जाता है। इसे ‘गुर्मुक’ होना भी कहते हैं। इसका अर्थ है गुरु, अग्नि एवं भगवान के समक्ष भगवान की शरणागति करना। पद्म पुराण में वैष्णव कि पहचान निम्न रूप में दी गयी है:
“ताप: पुण्ड्र: तथा नाम: मंत्रो यागश्च पंचम:”। (पद्म पुराण) विस्तृत अध्ययन के लिये निम्न लिंक को खोलें