तत्त्व त्रय: सूत्र 7

7. एवं युक्तियों में बाधा उत्पन्न होने पर भी शास्त्र बल से आत्मा देह आदि से भिन्न सिद्ध होता है।

व्याख्या: पूर्व में अनेक तर्कों के द्वारा आत्मा को देह, इन्द्रिय, मन, प्राण, ज्ञान (बुद्धि) आदि से भिन्न सिद्ध किया गया। अब उसी विषय को शास्त्र-प्रमाणों से सुदृढ कर रहे हैं:

“पञ्चविंशोऽयं पुरुषः” “पञ्चविंश आत्मा भवति” (सामरहस्य 101, शतपथ ब्राह्मण 10.1.2.8)

“भूतानि च कवर्गेण चवर्गेणेन्द्रियाणि च ।
टवर्गेण तवर्गेण ज्ञानगन्धादयस्तथा।
मनः पकारेणैवौक्तं फकारेण त्वहंकृति।
बकारेण भकारेण महान्प्रकृतिरुच्यते।
आत्मा तु स मकारेण पञ्चविंशः प्रकीर्त्तितः ।”

(पाद्मोत्तर पुराण)

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Author: ramanujramprapnna

studying Ramanuj school of Vishishtadvait vedant

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